थारू समाजमे लागभग मोगी या मारदके बाराबर हक रहेछइ । कोनो परिवारमे मोगीके नेतृत्वमे चलइ छइ त कोनो परिवारमे मरदके नेतृत्वमे चलइ छइ । वोहा कारणसे मोगी या मरदके बिचमे बेसी भेदभाव नइ छइ । थारुसब अपन नामके जग्गा जमिन अपन बेटा नातीके नाममे नामसारी कइर दइ छइ या बेटीसबके जग्गा जमिन पार्या नइ देइ छइ । थारू समाजमे भाइ भइया वंसके सबसे जेठका लोकके पावन तिहारमे मान समान करे बला चलन छइ । कोनो खाइबला चिज जाहीत दारू, मासू या विभिन्न किसिम्के रोटीसब लाके भेटेले जाइ छइ ।
गाम्मे समाजके विकास या नेतृत्व करेबला कोनो मोगी मरद उ गामके नेता बइनेले सके छइ, लेकिन सक्छम भ्याके नेतृत्वके लागी मोरेबला सब ओते नइ छइ । धार्मीक् कारयके लागी बौध्द मार्गीसबके लामाके उच्च धर्मगूरुके रूपमे लइ छइ या जइ मध्ये लामासबके नेता पद टीका लामा हइ छइ । धर्मगूरू या बर्कासबके हरेक वर्स मुख्य पावन तिहारमे कोनो खाइबला चिजल्याके भेटेले जाइ बला चलन छइ ।
गामे निर्नय करेके लागी मोगी मरद सब गामके मुख्य लोकसबके सल्लाह अनूसार निर्नय करेबला चलन छइ । गामके कोनो विकासके कार्यकरम सन्चालनके बेर बाहारसे एलहा मेजवन या कोनो लोक मोगी मरद दूनूके लागी रहेले खाइले थारू संस्किरिती अनूसार निक्से व्यवस्था करे छइ । कथिले त घरसब बरका बरका हेइ छइ, ओते मातर् नइ भेके कोनोके त झन २ तला तक रहेछइ । थारू समुदारमे आवस्यक परेके बेला गाममे सहयोग करेबला चलन छइ । समाजिक कामसब बाटोघाटो,विध्यलय मर्मत या सार्वजानिक कामसब जाहित विभिन्न कार्यसब मिल्के करेछइ । गाम्मे कोइ विमारी भेलहा समयमे बोइकके अस्पताल पूगा दैछइ की एम्बूलेन्स बोला दैइ बला चलन छइ । कोनो लोकके खर्चापानी कम भेलहाके बेर मदद्त कइर देछइ।
बाहरके जाइतसबसंगे थारूसबके निक या मिल्के रहेछइ, आवस्यक परेके बखतमे सहयोग आदान पर्दान करे छइ । थारू समूदायमे कक्रो सजाइ या दन्ड देइ बेरमे पन्चैती करे बला चलन छइ । सजाइ सुनाबेले गामके पन्चसब या मूखियासब कहिबला चलन छइ।
थारूसब अपन समाजमे थारू या नेपाली भासा दूनू बोले छइ । आइकाइल नेपाली, मैथली, अंर्गेजी या ओर भासासब बोलेबला लोकसब रहे छइ । थारूसब पहिने पहिने अपन बेटाबेटीसबके पढाइले लिखेले सिखाइबला चलन छेलेइ । सिक्छाके लागी कोनो विसेस् किसिम्के व्यवस्था नइ छैलेइ लेकिन घरमे मास्टर बोलाके पढाइबला चलन छेलेइ । पार्य जाहीत धामी या जरीबूटीके माध्यसे उपचार करे छेलेइ या कोनो ठाम्मे अखेनतो करे छइ । जाहित: जर, रूघाखोकी, झाडापखला, आँइख पाकेबला, मूरी दूखाइबला जाहित रोगके उपचारके लागी झारफूक या जरीबूटीके पर्योग करे छइ । लेकिन आइकाइल आधूनिक दवाइके पर्योग करे छइ।
थारूसबके रहनसहन, (जाहित: काठ, खर, या माइटसे बनल घरसब रहे छइ या घना वस्ती, संयुक्त परिवारमे रहे छइ), भेसभूसा (सारी [ अचरा या खोरकी ], धोती, पेटीकोट, कूर्तासूरवाल या गहनासबमे ठोकापात, हौँसूली, चूरी, हारी, पायल , कूनडल, लोइर सब), रितिरिवाजमे ( जितिया, माघीसंकार्नती, होली, छठपर्व, तिहार, सामाचकेवा, गोठाले, नयाँ वर्स, डिहवार गार्म देवता [ बर्हम बाबा ] सब ), भासा ( थारू, नेपाली, अंर्गेजी, मैथिली, भोजपूरी सब ), संस्किरिती कलामे ( पूर्वी नाच, झिरा नाच, जाटजाटीन नाच, धुम्रा नाच, बर्का नाच, चोरखेली नाच ,सामाचकेवा नाच ) सब छइ । पार्य: कैरके , यादव, दोनवार, बातर, साह, धोवी, ठाकुर, वि.क., राजवंसी, सदाय ( मुसहर ) सबके वस्ती लगमे रहे छइ । ओर यी जाइत समूदायसबके एक दोसरमे परोसिया जाहित मिल्के रहे छइ । विभिन्न संघ संगठन मधेसी, राई, लिम्बू, बाबहन सँगे आबध्द भेके संगठितमे मिलके रहे छइ। विसेस कइरके थारूसब बाहारसे एलहा मेजवानसबके बोहोत निक या विकास परेमीके रूपमे लइ छइ । मेजवानसबके लागी खाइपिएके लागी निक निक परिकारसब पकाके स्वागत करे छइ।