थारूसबके मूख्य पेसा किर्सी या खेतिपाती भेलाके कारण जीवन गूजारा करेले मुस्किल भेरहल् छइ । थारूसब विसेस् कइर्के किर्सी या पसु पालनमे अपन जीवन चलारहल छइ। विसेस् कइर्के थारूसब धान या गोहोम खेतीसब नगद बालीके रूपमे लइ छइ । थारूसब जेठ से साउन तक धान खेती या मङ्सिर से पूसमे गोहोम खेतिपाती करेबला सिजन भेलाके कारण एक्दम व्यस्त रहे छइ । थारूसबके मूख्य पेसा खेतिपाती विसेस कइर्के मकै,सनपटा (जुट),मोस्री,मासके दाल,मूङ्गके दाल,उखु यी सब मुख्य रूपमे लइ छइ। सँगे अलू, मूरे, तोरी, राइके साग, घेरा, बोरी, लौका(सज्जुवाइन), कदिमा (फर्सी), फूलकोबी (काउली), बन्दा कोभी, रम्झिगनी ओर भन्टा जाहीत विभिन्न किसिम्के तर्कारी ओर चिजविजसब लगाइ छइ। धान या गोहोम बेचके अपन घरमे काम लगे बला समानसब किनै छइ।
थारूसब पहिने पहिने बोहोत किसिम्के खेतीपाती या पसू पालन करे छेलेइ गार्इ, भैँसी, भेडा, बकरी, घोरा, हरिन, हात्ती पालेइ छेलेइ । थारू मरदसब गार्इ, भैँसी या बकरी पाइलके या मोगीसब दुध, दही, घी बनाके बेचेबला काम कारे छेलेइ । हाल साल आबके भेडा, हात्ती, घोडा या हरिन छोड्के बकरी, खसी, गार्इ या भेँसीसब मात्र पालेछेइ । लेकिन अखेन आबके थारू छोरा (युवा)सब विभिन्न किसिम्के जागिर या नोकरीसब कइर रहल छइ । छोरा छोरीसब वैदेसिक रोजगारमे संलग्न छइ । अखैन कतै थारू छोरासब नेपाली सेना, नेपाली पर्हरी, खरदार, सूब्बा ओर विभिन्न किसिम्के सरकारी तथा संघ संस्थासबमे समेत काम कइर रहल छइ । लेकिन अखैनका थारूसबके लागी खाइले लगाइले जीवन चलाइले खासै समसिया नइछइ । थारूसबके अपने छेतर्मे जग्गा जमिन पर्सस्त मातर्मे छइ लेकीन यी जग्गासबके सही तरिकासे उपयोग नइ भ्यल्छेइ ।
जग्गा जमिनके सही तरिकासे उपयोग कर्ते त थारूसबके पर्सस्त मातर्मे आम्दानी हैइबला स्थिती छइ । थारूसब अपन पैसासे व्यापार, सिक्छा, स्वास्थ्य यी छेतर्मे लगानी करेले नइ चाहेछइ । वोही कारण भेलासे थारूसबमे उच्च सिक्छा बोहोत कम मातर्मे छइ यहाँ कारण उच्च सिक्छा पाराप्तीमे कमी छइ।